Monday, September 30, 2013

''नई सदी का कथा समय'' हिन्‍दी चेतना का अक्‍टूबर-दिसम्‍बर 2013 विशेषांक अब उपलब्‍ध है ।

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COVER OCT 2013

संरक्षक एवं प्रमुख सम्‍पादक श्‍याम त्रिपाठी, तथा सम्‍पादक डॉ सुधा ओम ढींगरा के सम्‍पादन में

हिन्दी चेतना (हिन्दी प्रचारिणी सभा कैनेडा की त्रैमासिक पत्रिका)

का विशेषांक अक्‍टूबर-दिसंबर 2013

''नई सदी का कथा समय'' (अतिथि सम्‍पादक - पंकज सुबीर )

नई सदी की हिन्‍दी कहानी पर केन्द्रित।

पिछले 13 वर्षों का प्रतिनिधित्व करने वाली चार कहानियां।

स्त्री लेखन की प्रतिनिधि कहानी (चयन : सुप्रसिद्ध कहानीकार विमल चन्द्र पाण्डेय ।)

पुरुष लेखन की प्रतिनिधि कहानी (चयन : सुप्रसिद्ध कहानीकार मनीषा कुलश्रेष्ठ।)

प्रवासी स्त्री तथा पुरुष लेखन की प्रतिनिधि कहानियाँ (चयन : सुप्रसिद्ध आलोचक साधना अग्रवाल।)

इन चारों कहानियों के माध्यम से अपने समय की पड़ताल करते हुए चार आलेख।

दूसरी परम्‍परा के सम्‍पादक डॉ. सुशील सिद्धार्थ से सुधा ओम ढींगरा का विशेष साक्षात्कार ।

नई सदी के कथा समय पर युवा आलोचक वैभव सिंह का आलेख।

नई सदी के तेरह साल और हिन्दी किस्सागोई युवा कथाकार गौतम राजरिशी का आलेख।

प्रवासी हिन्दी कहानी की नई सदी, वरिष्ठ कथाकार तेजेन्द्र शर्मा तथा अर्चना पैन्यूली के आलेख।

नई सदी में सामने आई प्रवासी कहानी पर साहित्यकारों के बीच गोलमेज परिचर्चा।

कहानीकार विवेक मिश्र के संयोजन में कथाकारों, सम्‍पादकों तथा आलोचकों के बीच परिचर्चा।

''नई सदी की सबसे पसंदीदा दस कहानियाँ'' साहित्‍यकारों की पसंदीदा 10 कहानियां

साथ में सम्‍पादकीय, आखिरी पन्‍ना, साहित्यिक समाचार और भी बहुत कुछ।

ऑन लाइन पढ़ें

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सादर सप्रेम,

हिन्दी चेतना टीम

Friday, September 6, 2013

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वैश्विक रचनाकार: कुछ मूलभूत जिज्ञासाएँ 
मेरी नई पुस्तक 
           कुछ पत्रकारों और लेखकों ने साक्षात्कार लेने की कला को एक रचनात्मक हुनर बना लिया है। उन्हें पता है कि किस लेखक से बात करने का सलीका क्या है। संवाद एक सलीका ही तो है। साक्षात्कार का सौन्दर्य है संवादधर्मी होना।  
           ऐसी अनेक विशेषताएँ सुधा ओम ढींगरा द्वारा लिये गये साक्षात्कारों में सहज रूप से उपलब्ध हैं। ‘वैश्विक रचनाकारः कुछ मूलभूत जिज्ञासाएँ’ में मौजूद साक्षात्कार इस विधा की गरिमा को समृद्ध करते हैं। समर्पित रचनाकार सुधा ओम ढींगरा बातचीत करने में दक्ष हैं। वैसे भी जब वे फोन करती हैं तो अपनी मधुर आवाज़ से वातावरण सरस बना देती हैं। जीवन्तता साक्षात्कार लेने वाले का सबसे बड़ा गुण है। बातचीत को किसी फाइल की तरह निपटा देने से मामला बनता नहीं। सुधा जी को इस विधा में दिलचस्पी है। उन्होंने अनुभव और अध्ययन से इसे विकसित किया है। वे ऐसी लेखक हैं, जिन्हें टेक्नोलॉजी का महत्त्व पता है। बातचीत करने के लिये आमने सामने होने के अतिरिक्त उन्होंने फोन, ऑनलाइन और स्काइप का उपयोग किया है। बल्कि आमना-सामना अत्यल्प है। इससे कई बार औपचारिक या किताबी होने का संकट रहता है जो स्वाभाविक है। ....लेकिन यह देखकर प्रसन्नता होती है कि सारे साक्षात्कार जीवन्त और दिलचस्प हैं।
         
अमेरिका, कैनेडा, इंग्लैण्ड, आबूधाबी, शारजाह, डेनमार्क और नार्वे के साहित्यकारों से सुधा जी के प्रश्न सतर्क हैं। साहित्यकारों ने भी सटीक उत्तर दिये हैं। यह पुस्तक पाठकों की ज्ञानवृद्धि के साथ उनकी संवेदना का दायरा भी व्यापक करेगी। वैश्विक रचनाशीलता की मानसिकता को यहाँ लक्षित किया जा सकता है। ऐसी पुस्तकें हिन्दी में बहुत कम हैं। शायद न के बराबर। विश्व के अनेक देशों में सक्रिय हिन्दी रचनाकारों के विचार पाठकों तक पहुँचाने के लिए हमें सुधा ओम ढींगरा को धन्यवाद भी देना चाहिए। हिन्दी में कुछ विशेषज्ञ रहे हैं जो साक्षात्कार को रचना बना देते हैं। सुधा जी को देखकर.... उनके काम को पढ़कर और इस विधा के विषय में उनके विचार जानकर उनकी विशेषज्ञता की सराहना की जानी चाहिए।
-सुशील सिद्धार्थ
सम्पादक
राजकमल प्रकाशन
1 बी, नेताजी सुभाष मार्ग
दरियागंज-2
मोबाइल 09868076182