Tuesday, December 29, 2009

मर्यादा/ लघु कथा

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मर्यादा/ लघु कथा

'' दादी, पापा रोज़ शराब पी कर, माँ को पीटते हैं. आप राम -राम 

करती रहती हैं, उन्हें रोकती क्यों नहीं?''पोती ने नाराज़गी से पूछा.

'' अरे तेरा बाप किसी की सुनता है?, जो वह मेरे कहने पर बहू पर

हाथ उठाने से रुक जायेगा और फिर पति -पत्नी का मामला है,

मैं बीच में कैसे बोल सकती हूँ? ''

''आप जब अपने कमरे में माँ की शिकायतें लगाती हैं,

तब तो वे आपकी सारी बातें सुनते हैं, और फिर पति -पत्नी

की बात कहाँ रह गई ? रोज़ तमाशा होता है ''

'' वह काम से सीधा मेरे कमरे में आता है, तेरी माँ को

जलन होती है,  तुझे भी अपनी माँ की तरह, उसका,

मेरे कमरे में आना अच्छा नहीं लगता.''

''दादी आप माँ हो , आप का हक़ सबसे पहले है,

पर आप के कमरे से निकल कर, वे शराब पीते हैं

और माँ से लड़ते -झगड़ते हैं, उन्हें पीटते हैं,

यह गलत है. पापा को बोल देना कि अगर आज

माँ पर हाथ उठाया, तो हम तीनों बहनें, माँ के साथ,

खड़ी हो जाएँगी और ज़रुरत पड़ी तो पुलिस थाने भी

चली जाएँगी, पर माँ को पिटने नहीं देंगी.''

'' हे राम, यह सब दिखाने से पहले मुझे उठा क्यों

नहीं लेता, मेरा बेटा बेचारा  अकेला..
काश! मेरा

पोता होता,
यह दिन तो ना देखना पड़ता.....

बाप की मर्यादा रखता.''


'' किस मर्यादा की बात करती हैं ? गर्भवती पत्नी को

जंगलों में छोड़ कर मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाने

वाले की  ....मर्यादा सिर्फ आदमी की

ही नहीं, औरत की भी होती है...''